महा भड़ासी और भड़ास ब्लाग के पितामह डॉ. रुपेश श्रीवास्तव नहीं रहे.

बुधवार, 9 मई 2012

भड़ास के जनक, आयुर्वेदाचार्य डॉ. रुपेश श्रीवास्तव.




एक डॉ. रुपेश श्रीवास्तव था एक दिन वो मर गया......

ये वाक्य अचानक से कानों में जहर घोलने लगे हैं, जी हाँ ये वाक्य जो हमारे गुरुदेव का तकिया कलम जैसा था, बस एक वाक्य और सबको चुप करना.

और आज हमारे गुरुदेव वाकई में पञ्च तत्व में समाहित हो गए. डॉ. रुपेश श्रीवास्तव को कल ही हृदयाघात हुआ था, आज हमारा ये लाडला, चहेता, योद्धा सबका अपना हमें छोड़ कर पञ्च तत्व में विलीन हो गया. भड़ास अपने संस्थापक पूज्य के लिए अश्रुपूरित है, द्रवित है अविश्वसनीय है कि हमारा गुरुदेव हमें छोड़ कर कैसे जा सकता है. 

लिखने पढने कहने सुनने कि हालत में नहीं हूँ, डॉ. साहब कि आवाज, गल्बहलिया, साथ मानों सब सामने से जाने का नाम नहीं ले रहा है. समझ में नहीं आ रहा है कि क्या करूं ?? क्या लिखूं ??


31 टिप्पणियाँ:

Kusum Thakur ने कहा…

भावपूर्ण श्रधांजलि!!

रचना ने कहा…

oh unbelievable
my condolence

अविनाश वाचस्पति ने कहा…

सहसा कानों में पारा घुलने जैसा अहसास हो रहा है। दो या तीन बरस पहले उनसे हुई मुलाकात कभी भूल नहीं सकता। जब मुंबई में पहले हिंदी ब्‍लॉगर मिलन समारोह में हुई थी। अगली बार दोबारा से मिलना संभव नहीं हो सका। पिछले बरस कल्‍याण के कॉलेज में आयोजित संगोष्‍ठी में उनके शामिल होने की सूचना परंतु वे किसी कारणवश नहीं आए। उनसे फोन पर फिर से मिलने की बात हुई थी। ऐसा बिंदास व्‍यक्तित्‍व, जुझारूपन, कहां सबमें देखने को मिलता है। उनके साथ मुंबई लोकल बस और लोकल ट्रेन में काफी लंबी यात्र की। लेकिन इस यात्रा पर वे अकेले ही चले गए। सच है कोई किसी को साथ लेकर नहीं जाता। अश्रुपूरित श्रद्धांजलि। नुक्‍कड़ के भी एक सेनानी रहे हैं वे, और अभी भी जुड़े हुए हैं।

अविनाश वाचस्पति ने कहा…

सहसा कानों में पारा घुलने जैसा अहसास हो रहा है। दो या तीन बरस पहले उनसे हुई मुलाकात कभी भूल नहीं सकता। जब मुंबई में पहले हिंदी ब्‍लॉगर मिलन समारोह में हुई थी। अगली बार दोबारा से मिलना संभव नहीं हो सका। पिछले बरस कल्‍याण के कॉलेज में आयोजित संगोष्‍ठी में उनके शामिल होने की सूचना परंतु वे किसी कारणवश नहीं आए। उनसे फोन पर फिर से मिलने की बात हुई थी। ऐसा बिंदास व्‍यक्तित्‍व, जुझारूपन, कहां सबमें देखने को मिलता है। उनके साथ मुंबई लोकल बस और लोकल ट्रेन में काफी लंबी यात्र की। लेकिन इस यात्रा पर वे अकेले ही चले गए। सच है कोई किसी को साथ लेकर नहीं जाता। अश्रुपूरित श्रद्धांजलि।

अन्तर सोहिल ने कहा…

ओह
विश्वास नहीं हो रहा है
हिन्दी ब्लॉगजगत में उनकी कमी कभी पूरी नहीं हो सकती
अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि

डॉ टी एस दराल ने कहा…

बहुत दुखद .
एक जुझारू ब्लॉगर का अचानक चले जाना ब्लॉगजगत के लिए अपूरणीय क्षति है .

रविकर ने कहा…

बहुत दुखद |
अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि ||

हर दिन जैसा है सजा, सजा-मजा भरपूर |
प्रस्तुत चर्चा-मंच बस, एक क्लिक भर दूर ||

शुक्रवारीय चर्चा-मंच
charchamanch.blogspot.in

शेखचिल्ली का बाप ने कहा…

dukh to hota hi he.

maut se kaun bach paya he ?

नुक्‍कड़ ने कहा…

Vicharon ki kabhi maut nahin hoti.

नुक्‍कड़ ने कहा…

Vicharon ki kabhi maut nahin hoti.

नुक्‍कड़ ने कहा…

Vicharon ki kabhi maut nahin hoti.

Shah Nawaz ने कहा…

Ohhhh.... Behad dukhad aur avishwasniy...

My Condolence

ZEAL ने कहा…

.

बेहद दुखद और अप्रत्याशित खबर। रूपेश भैया का इस तरह से चले जाना हजारों लोगों के लिए अपूरणीय क्षति है। सभी से स्नेह करने वाले , बेहद विनम्र और सहनशील व्यक्तित्व के धनी थे भाईसाहब। बीमार माँ की सेवा उन्होंने उनकी भी माँ बन कर की थी। इस ब्लॉग-जगत में भाड़े का सच्चा प्यार मुझे रूपेश भैया ने दिया। हर पग पर उन्होंने मेरा साथ दिया, मेरा मनोबल बनाए रखा। जीवन एक संघर्ष है और इस युद्धभूमि में निरंतर लड़ते हुए अपने कर्तव्यों का पालन करना है , ये उन्ही से सीखा। भड़ास परिवार में मुझे शामिल करके मेरा मान बढाया। इस परिवार के संजय कटियार, मुनेन्द्र भाई, मनीषा दीदी और मुनव्वर आपा ने मुझे बहुत प्यार दिया।

दूसरों के दुःख को अपना समझने वाला, और सदैव सहायता को तत्पर रहने वाला तो बस एक था और वो हैं मेरे रूपेश भैया।

भैया अश्रुपूरित आखों को आपको विदा दे रही हूँ। हर जनम में मेरे भाई बनकर आना। आप मेरी स्मृतियों में सदैव जीवित रहेंगे।

I LOVE YOU BHAIYA.... I WILL MISS YOU......

.

ZEAL ने कहा…

बड़े भाई का सच्चा प्यार दिया रूपेश भैया ने। सभी ब्लॉगर्स की तरफ से इस सच्चे चिकित्सक और ब्लॉगर को मेरी विनम्र श्रद्धांजलि।

बस्तर की अभिव्यक्ति जैसे कोई झरना ने कहा…

अभी-अभी दिब्या का फ़ोन मिला .....आवाज़ पहचानने में थोड़ा समय लगा... आँसुओं में डूबी आवाज़.....घबराते हुये मैने पूछा हुआ क्या। बताया, "रूपेश भइया नहीं रहे"। सहसा विश्वास नहीं हुआ, पर दिव्या की दुखित आवाज़ सच्चायी की पुष्टि कर रही थी। एक युवा चिकित्सक और ब्लॉगर अब हमारे बीच नहीं है। पर लगता है कि जैसे अभी फिर किसी का फोन आयेगा और कोई कहेगा अरे ये तो मज़ाक किया था किसी ने ....काश ! ऐसा होता। सब को पता है कि रूपेश ऐसी जगह गया है जहाँ से अब फिर कभी नहीं आयेगा। मुझे अभी भी यकीन नहीं हो रहा कि रूपेश अब नहीं है.....एक दुखःद घटना।

बस्तर की अभिव्यक्ति जैसे कोई झरना ने कहा…

हिम्मत नहीं हो रही है दिव्या को दोबारा फ़ोन करने की....आयरन लेडी को पहली बार पानी की तरह बहता हुआ देख रहा हूँ। किसी का भी जाना बहुत दुखदायी होता है।

दिवस ने कहा…

हे भगवान !!! सहसा विश्वास ही नहीं हो रहा। रुपेश भैया चले गए, यह कैसे मान लूं मैं?
अभी कुछ समय पहले तक तो उनकी आवाज़ फोन पर सुनी थी।
ऐसा लगता है वे अभी फोन कर कहेंगे, "दिवस भाई, गुंड बोल रहा हूँ...ही ही ही..."
मुझे याद है जब पहली बार मैंने उनसे पूछा था की रुपेश भैया आप करते क्या हैं? तो उनका सीधा सटीक जवाब था, "पार्ट टाइम डॉक्टर और फुल टाइम गुण्डा हूँ मैं...ही ही ही..."

न जाने उनकी वह "ही ही ही..." वाली हंसी कहाँ खो गयी?

रुपेश भैया, आपने एक बार किसी ब्लॉग पर कहा था कि "रुपेश, दिव्या, दिवस, मनीषा दीदी व मुनव्वर आपा सब एक हैं।"
हाँ भैया, हम एक हैं। आप सदैव हमारे ह्रदय में जीवित रहेंगे। रुपेश भैया, आप सदैव याद आएँगे।
रुपेश भैया, अब कुछ कह नहीं पा रहा, गला भर रहा है।

I LOVE YOU RUPESH BHAIYA...

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

श्रद्धांजलि !
ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे और उनसे जुड़े लोगों को इस घड़ी में इस असीम दुख : को सहने की शक्ति !

संजय भास्‍कर ने कहा…

बहुत दुखद
भावपूर्ण श्रद्धांजलि !!

Rajesh Kumari ने कहा…

सुबह सुबह ये खबर पढ़कर दिल को आघात सा लगा एक दिन सभी जाते हैं पर इनकी तो यह उम्र भी नहीं थी जाने की जाने भगवान् की क्या मर्जी थी अच्छे लोगों की उसे भी जरूरत है शायद डा रूपेश श्री वास्तव को अश्र्पूरित श्रधांजलि

Aruna Kapoor ने कहा…

बहुत दु:खद खबर!...विनम्र श्रधांजलि!

DR. ANWER JAMAL ने कहा…

मौत हमें सार्थक कर्म की प्रेरणा देती है.

मालिक हमें मौत और ज़िंदगी के राज़ का और आगे काम आने वाले सत्कर्म का ज्ञान कराये.

आमीन .

shikha varshney ने कहा…

बेहद दुखद
भावपूर्ण श्रद्धांजलि

कविता रावत ने कहा…

बहुत दु:खद खबर
विनम्र श्रधांजलि!

Astrologer Sidharth ने कहा…

.






रूपेश भाई उन शुरूआती लोगों में से थे, जिन्‍होंने नेट पर पत्रकारों को भड़ास निकालना सिखाया। भले ही बाद में उन्‍हें एक अलग भड़ास बनाना पड़ा, लेकिन जो तेवर और जो अंदाज उस दौर में था, वह फिर कहीं और मिलना मुश्किल है...


ब्‍लॉगजगत को एक अपूरणीय क्षति, समय के साथ उनकी कमी अधिक शिद्दत से महसूस होगी...

अलविदा भड़ासी...

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

विनम्र श्रद्धांजलि ....

प्रवीण ने कहा…

.
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दुखद समाचार,

डॉ० साहब ने हाशिये पर पड़े लोगों व समूहों को एक आवाज दी थी भड़ास के माध्यम से... यह मंच पूरी ईमानदारी से वही करता रहे... यही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी...

दुख की इस घड़ी में मेरी संवेदनायें भड़ास परिवार के साथ हैं...

मेरी विनम्र श्रद्धांजलि उस 'महाभड़ासी' को...



...

dr amit jain ने कहा…

बहुत दुखद |
अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि ||

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