उर्दू के स्वयंभू मठाधीश ही उर्दू की कब्र खोद रहे हैं भाग - ७

सोमवार, 16 मई 2011

सभी भड़ासियों की सेवा में एक बार और समय का सदुपयोग करते हुए इन उर्दू के महान धूर्त सेवा करने वालों की ढोल में एक धम्म्म... और देना चाहता हूँ। यदि आप अपने कम्प्यूटर में विन्डोज़ में जाकर इनका अविष्कृत चमत्कारी महान फ़ौन्ट (जिसका भारी भरकम आकार है २३.७ मेगाबाइट) तब आप इनके विद्वतापूर्ण आलेख इस रूप में पढ़ सकेंगे वरना परंपरागत चिरकुट फ़ौन्ट यानि "एशिया नस्ख़" में ही पढ़ना होगा। इनका जोर सिर्फ़ आलेख के html पर ही चलता है जिसे कि आप किसी भी फ़ौन्ट में परिवर्तित कर सकते हैं। इनका जोर ब्लागर पर तो है नहीं इसलिये मुझ भड़ासी के करे हुए कमेंट तो एशिया नस्ख़ फ़ौन्ट में ही दिखाई दे रहे हैं जरा महान शोधकर्ता वैज्ञानिक कमेंट बॉक्स के फ़ौन्ट को एशिया नस्ख़ की बजाए अपने महान अविष्कारी फ़ौन्ट फ़ैज़ नस्तालिक में लिख कर दिखाएं।
डा.रेहान अंसारी मैं तुम्हें तब तक रगेदता रहूंगा जब तक कि तुम हमारे आदरणीय डा.रूपेश श्रीवास्तव जी से लिखित माफ़ी नहीं माँग लेते और अपनी गलती सुधार नहीं लेते। हमारी प्यारी बहन ज़ैनब आपा ने तो तुम्हें टैक्स्ट और फ़ौन्ट में अन्तर बता ही दिया है, मानोगे या और घसीटा जाना चाहते हो?? कहीं ऐसा तो नहीं निगेटिव पब्लिसिटी का स्वाद मुँह लग गया हो तो ये तुम्हारी निर्लज्जता की हद है।
जय जय भड़ास

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